Friday, December 11, 2020

हताशा

आगे बढ़ना भी कहाँ आसान होता हैं,
यहाँ हर वक्त गिरने का ड़र जो होता हैं ,
सफलता से मुलाकात के संघर्ष में;
लाख कोशिशें भी  कम पड़ जाती हैं मेरी,
फिर भी सफलता से मुलाकात नही होती मेरी |
जब भी गिर जाता हूँ मैं,आयने-सा बिख़र जाता हूँ,
अपने अनगिनत प्रयासों को मैं फिर से खो देता हूँ,
मायूस सा हो कर  कभी-कभी थोड़ा सा रो भी लेता हूँ ,
मंज़िल को पाने का जज़्बा मैं फिर भी नहीं खोता हूँ|
उस नन्हीं -सी चिटीं को देखकर मैं फिर से खड़ा होता हूँ,
मंज़िल को पाने के लिए मैं फिर से प्रयत्नशील हो उठता हूँ ,
प्रयासों मे कमी मैं कभी आने नहीं दूँगा ,
लक्ष्य को प्राप्त करे बिना मैं शांत नहीं बैठुंगा;
बस ये बात ठान कर मैं फिर से आगे बढ जाता हूँ|
माना सफलता युँ  हीं हर किसी को नही मिलती ,
रातों को बिना सुलाये कई बार, कई मुलाकाते अधूरी रखनी पड़ती हैं,
अंगारो की राहो पर चलकर  सपनों की खूबसूरत राहें बनाना आसान नहीं होता,
ज़िंदगी में एक बार में सफल हों जाना शायद मुमकिन ना हो  ;
पर मैं खुद से ही हार कर बैठ जाँऊ ये भी तो मुमकिन नहीं ना |
*हताशा* की किरणो से रूबरू होना भी जरूरी हैं,
ज़िंदगी को रोचक बनाने के लिए कभी - कभी गिरना भी जरूरी हैं,
गिर - गिर कर भी जो खड़ा हो जाए, वो कभी असफल नहीं होता,
और ; आँसुओं को मुकद्दर समझ कर जीने वाला कभी सफल नही होता |
@highongoals

मुझे घर याद आता हैं....

मुझे घर याद आता हैं....

जहाँ मैं छोटे से बड़ा हुआ,
जहाँ ज़िंदगी के 18 बरस गुजारे,
वो आँगन जहाँ से मैने आगे बढ़ना सिखा ...
आज बहुत याद आता है,
हाँ, आज मुझे मेरा घर याद आता हैं |

वो घर जहाँ मुझे मिला माँ का प्यार,पापा की प्यार वाली पडी मार,
वो घर जहाँ भाई-बहनों के साथ खूब झगड़ना,रूठना-मनाना हुआ मेरा,
वो घर जहाँ हर शाम यारों की महफिलों का सजना हुआ,
आज बहुत याद आता है,
हाँ, आज मुझे मेरा घर याद आता हैं |

लेकिन मैं आज पीछे छोड़ आया अपनों को,
मेरे अपनो के सपनों को पूरा करने के खातिर
माँ-पापा से मीलों दूर,
अनजान शहर में अनजानी मंज़िल की तलाश में चला आया हूँ,
सपनों को पुरा करने का जोश कुछ ऐसा चढ़ा है कि,
अब इस अनजाने से शहर में कभी-कभी फुटपाथ पर भी लेट जाता हूँ,
जमाने की इस दौड़ में,मैं अपने घर से दुर चला आया हूँ |


दफ्तर जाते वक्त माँ के हाथ का बना वो खाना रोज याद आता हैं ,
वो बनी गरम-गरम घी की रोटी आज भी याद आती हैं,
खाना तो मैं आज भी खा लेता हूँ माँ,लेकिन उसमें वो मिठास नहीं आती है,
इसीलिए माँ तेरे हाथों की वो खुशबु मुझे रोज याद आती हैं,
हाँ, मुझे आज भी मेरा घर याद आता हैं |

वो घर तक जाने वाली गलियाँ,वो रास्ते आज भी याद आते हैं मुझे,
वो मस्ती भरे दिन आज भी बुलाते है मुझे,
वो घर की चारदीवारी के भीतर और उस आंगन में बिताए पल; हर वक्त मुझे याद आते हैं,
लेकिन क्या करूँ,अपने भविष्य को सँवारने के लिए,
 मैं आज सब कुछ पीछे छोड़ आया हूँ ....
हाँ ,मैं घर से दुर चला आया हूँ |

वो घर जहाँ सब लोग अपने थे,पराया कोई नही,
वो घर जहाँ हर त्योहार हम मिलझुल कर मनाया करते थे,
वो घर मुझे आज भी याद आता हैं;
जब इस अनजान शहर की गलियों में,मैं अपनों की तलाश करने के लिए निकलता हूँ,
जब अपने दोस्तों के बीच अपने उस प्यारे से बचपन को याद करता हूँ....
हाँ, मैं घर से दुर चला आया हूँ,

इसीलिए, मुझे आज भी मेरा वो घर बहुत याद आता हैं |
©

Saturday, September 14, 2019

राज़

अपने "राज़" हर किसी को  युं बताया ना करो,
चाहे कितना भी "अपना" हो कुछ राज़ तो "छुपाया" करो,
अपने ही तो हैं जिन्हें हमारे हर राज़ से "फर्क" पड़ता हैं,
वरना "गैरों" को इतनी "फुर्सत" कहाँ; कि वो हमारे राज़ को "आवाम" कर दे ||

Thursday, December 20, 2018

दोस्ती : एक बंधन मुस्कुराहट का




खामोश -सा हों गया हूँ मैं उस पल, 
इसलिए नहीं की मौत सामने खड़ी हैं, 
बल्कि इसलिए मेरे दोस्त, क्योंकि;
तुमसे बिछड़ने की घडी करीब आ गई हैं |


कितने हसीन थे ना वो पल भी; जो हम कभी साथ मिलकर गुजारा करते थे ,
बिन कहें ही हम एक - दूजे के, सुख दु:ख के साथी बन जाया करते थे ,
लड़ाई - झगड़े भी ख़ूब, और खूब रुठे भी सहीं ,
पर अगले हीं पल हम, एक -दुसरे को मना भी लिया करते थे  | 

दिल तो हम सबका जैसे, एक साथ हीं धड़कता था ,
चोट एक को लगती थी, लेकिन दर्द का अहसास सबको भिगोता था ,
कितने हसीन थे ना वो पल भी जिंदगी के;
जहाँ दिन की शुरुआत तुम्हारे फोन से हुआ करती थी, 
जहाँ  GF - BF से ज्यादा ,अपने दोस्तों की फिक्र हुआ करती थी |

 लम्हा-लम्हा वक्त बदला, शायद ज़िंदगी भी बदलने लग गई ,
हम सब एक -दुसरे से बिन बोले हीं बिछड़ते चले गए ,
आज कोई यहाँ हैं, कोई वहाँ हैं, लेकिन एक जगह कोई नही ,
शायद दिल से बंधे रिश्तों के धागे, बस नामों में सिमट कर रह गए है |

पहले साथ बैठकर हम, कुछ किस्से-कहानियाँ साझा कर लिया करते थे ,
लेकिन अब फोन पर बात करें भी,हमें महीनों बित जाया करते हैं,
सब उलझे है हम अपने ही बनाये, रिती - रिवाजो़ के ताने-बाने में कुछ युँ कि,
अपने हीं बुने पुराने रिश्तों के जज़्बातों को, हम खुद हीं दफ़नाते जा रहें हैं |

हम सब युँ बदल जाँएगें, किसी ने सोचा न था ,
मजबुरियों के चलते युँ जुदा होना पड़ेगा, किसी को अंदाजा भी न था,
किसी मायाजाल सा मोह हैं मुझे तुम सबके साथ ; 
सच कहुँ तो शायद इसी वजह से अब, तुम्हारे बिना मन भी नहीं लगता मेरा ,
और इस बंधन को कब तोड के मुक्त हों जाऊ, कुछ कह भी नहीं सकता |

लगता हैं मेरे दिल की धड़कने कुछ बढने लगी हैं ,
सामने खड़ी मौत मुझे देखकर हसँते हीं जा रहीं हैं ,
गुमां है उसे  खुद पर कि ,शायद मैं उसे देखकर रो दूं,
पर इसके साथ तो मैं वहाँ भी, मुस्कुराता हुआ हीं जाऊँगा दोस्त,
क्योंकि  तुम सबकी यादें मैने, अपने दिल के पन्नों में जो समेट ली है.........


©️ 

Sunday, December 9, 2018

शांतिदूत संत : पुलक सागर

(For Better Experience,View In Web Version)

उजडे़ रेगिस्तान का हरा - भरा पेड़ हैं यह संत |
संयम व्रतों के रथ पर सवार,  मिथ्या दृष्टि से परे  समाज का गौरव  हैं यह संत |
जन - जन के दिलों को प्यारा प्रसन्नता का प्रकाश  हैं यह संत |
आखिर; भारत का गौरव " भारत गौरव " हैं  यह संत |

सुख - सिंधु सागर का प्रदाता है यह संत |
अनुपम,  आलौकिक,  कठोर साधना की जड़ है  यह संत  |
वितरागता  का पालन करतें हुए ;महावीर के पथ पर प्रगतिशील  है यह संत |
आखिर ; पुष्पदंत सागर की बगिया का, चहकता-  महकता पुष्प हैं यह संत |

तप और मौन साधनाओं के अम्बर में डूबा है यह  संत  |
तो वही; "  ज्ञान की गंगा " में खुशियों  की बौछार करता है यह संत |
जिनशासन को समर्पित वात्सल्य - धारा का धनी हैं यह संत |
आखिर ; जैन समाज का उगता प्रकाश रूपी सूर्य हैं यह संत|

निर्मल गंगा जल सा, निर्मल हैं यह संत |
समता रुपी गुणों सें धनी हैं यह संत |
अहंकार, वासना, ईर्ष्या से परे रहता हैं यह संत |
आखिर ;सम्यक्तवता का प्रतीक हैं यह संत |

अपने निराले अंतर्मन में डूबा रहता है यह संत |
मैत्री स्वभावों से परिपूर्ण " पुलक परिवार " का आदर्श हैं यह संत |
विजय तिलक की चमक हैं यह संत|
आखिर; मोक्ष पथ का गामी हैं यह संत |

28 मुलगुणों सें सुशोभित हैं यह संत  |
बिन कांटों का खिलता गुलाब हैं यह संत |
चाँद-सी रोशनी,सूरज-सा दिव्य तेज,कोहिनूर जैसी चमक से परिपूर्ण हैं यह संत|
आखिर;जैनागम, माँ जिनवाणी का परम उपासक हैं यह संत |

गोपी देवी की आँखों का तारा, तो भीकमचंद जी के दिल का गुरूर हैं यह संत|
सुनी पड़ी कानपुर की धरती का, पुण्योदय हैं  यह संत |
गाँव धमतरी वालों का गौरव कहूँ या ना कहूँ ; कोई फर्क नहीं पड़ता |
क्योंकि;मेरे महावीर की छाँव में पला - बढ़ा हैं यह संत |

प्रभु पार्श्वनाथ का दुलारा हैं यह संत |
आचार्य पुष्पदंतसागर जी को अतिप्रिय हैं यह  संत |
अपने भक्तों के दिल में जगी आखिरी उम्मीद की किरण हैं यह संत |
आखिर ; दया - सिंधु का सागर हैं यह संत |

संयम - साधनाओं में लीन रहता हैं यह संत |
अपने भक्तों की खुशियों की चाबी हैं यह संत |
गिरते हुए को सदैव संभाला हैं इन्होंने |
आखिर ; " जिनशरणं के छोटे बाबा " हैं यह संत |

||जय पुलक सागर, जय पुलक सागर, जय पुलक सागर ||
©

  नमनकर्ता   : अंकित नम्रता जैन,पुलक पुस्तक मार्ट , 
                    मीरेश बुक्स गैलरी, अजमेर 
                    (ट्रस्टी -जिनशरणं तीर्थ) 

 लेखक   :  मयंक शाह, अजमेर 

सम्पादक    :  रचना जैन, उर्वशी लोढ़ा 

Friday, November 23, 2018

एक संदेश भगवा धारियों के नाम Part 2

आग्रह : यदि आपने अभी तक  "एक संदेश भगवा धारियों के नाम" का पहला भाग नहीं पढ़ा हैं तो आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें , उसे पढ़े |


                                                                 
                                                                         PART 2

भगवाधारी हों तो हर धर्म का पालन करो,उनकी हर अच्छी बातों को अपने जीवन में उतारो, क्योंकि हम भगवाधारी विविधता में एकता के देश में निवास करते हैं | भगवाधारी हो तो अपने भाई  से ऐसा प्रेम करों कि विषम परिस्थितियों में आपके भाई को अन्य लोगों से मदद मांगने की जरूरत ना पड़े  |

तलवारों की धार - सी चमक, ऐसा तेज अपने चेहरे पर लेकर आओ कि सामने वाला भी देख कर बोले कि यह भगवा भक्त हैं | मात्र भगवा पहनकर , ओढ़कर  घूमने से , लहराने से कुछ नहीं होगा | भगवा का सम्मान यानी भारत माता का सम्मान, ऐसे विचार अपनी रगों में भर दों |

भगवाधारी हो तो हर व्यक्ति कि विषम परिस्थिति में हर संभव मदद करो श्री राम बनकर | निस्वार्थ भावना से सेवा भावना ही तो श्रीराम का संदेश हैं | भगवाधारी हों तो अपने आचरण में वह पवित्रता लेकर आओ , अपने व्यक्तित्व में वह परिवर्तन लाओ कि हर घर रोज दिवाली मनाई जाए |

"हाँ मैं यह मानता हुं कि हम वह हनुमान तो नहीं बन सकते कि जब हम सीना चीरे तो सीने में श्री राम और माँ सीता दिख जाए,  लेकिन हम वह इंसान तो बन सकते हैं कि जब हम सीना चीरे तो सीने में से श्री राम के आदर्शों की गंगा बाहर  छलक - छलक पड़े |"

कहते हैं सिंह जहाँ बैठ जाता है वह जगह भी सिंहासन कहलाने लगती है तो ,अपने आप को ऐसा बनाओ कि जहां भी बैठों वह जगह  भगवा - भगवा हो जाए  | आचरणों में पवित्रता ही भगवा का असली मान-सम्मान हैं|भगवाधारी हो तो अपने अंदर उस तरह से बदलाव लेकर आओं कि श्री राम की झलक तुम्हारें अंदर स्पष्ट रूप से दिखाई पड़े |  वह प्रेम ,सद्भावना ,निष्ठा, कर्तव्यपरायणता ,एकता सब तुम्हारे आचरण  से  छलकना चाहिए |

कहते हैं महापुरुष प्रकाश में नहीं आते , और आना भी नहीं चाहिए , क्योंकि प्रकाश प्रदान में है उन्हें रस आता हैं | ठीक उसी प्रकार तुम अपने अंदर वह बदलाव लेकर आओ कि जहां- जहां भी तुम जाओ ,वहां - वहां भगवा के आचरण,  भगवा  की पवित्रता के मोती स्वयं बिखर पडे़ |  और वहाँ उन मोतियों को उठाने वाला एक  भगवाधारी के साथ-साथ एक फतवाधारी भी विद्यमान हों | ध्यान रखना आचरण में पवित्रता और बदलाव का साहस किसी भी व्यक्ति को उसका व्यक्तित्व को बदलने पर मजबूर कर सकता है|

सब्र करो वह समय भी जल्द  जाएगा जब हर  सुबह  भगवामयी होगी ,और शाम  भगवामयी  होगी ,और हर रात भगवामयी  होगी| और हर सुबह की किरण भगवा के आचरणों का ,उसकी पवित्रता का संदेश लेकर तुम्हारें  जीवन में आएगी | तुम्हें बस इस संदेश को हंसते-हंसते स्वीकार करना है , और हर रात भगवा के मान - सम्मान का परिणाम लेकर तुम्हारें  सामने आएगी  और उस परिणाम को भी तुम्हें खुशी - खुशी , मुस्कुरातें हुए स्वीकार करना हैं |

भगवा को राजतिलक नहीं विजय तिलक के रूप में स्वीकार करों | भगवा की शान मेरे भारत की शान हैं, और भगवा का मान मेरी भारत माता का मान है |ध्यान रखना केवल भगवा फहराने से ही राम राज्य नहीं आएगा | उसके लिए बदलाव अपने आचरण में,  विचारों में लाना होगा|  केवल भगवा धारण कर लेने से ही तुम भगवाधारी नहीं बन सकते |

हाँ , मैं गर्व से कहता हूं  कि मैं भगवा नहीं पहनता ,उसे धारण नहीं करता  | लेकिन मैं अपने जीवन में श्री राम के आदर्शों का पालन करता हूं उनके आचरण को अपने व्यक्तित्व में उतारने का हर संभव प्रयास करता हूं , इसीलिए मैं गर्व से कहता हूं कि मैं बाहर से तो भगवाधारी नहीं हूँ ,दिखाने से भी भगवाधारी नही हूँ लेकिन अंदर से पूरा भगवाधारी हुं , आचरणों से पुरा भगवामयी हूँ |

जरूरी नहीं कि जय श्री राम लिखने वाला ही, बोलने वाला हीं भगवाधारी हों | यदि कोई फतवाधारी भी प्रभु श्रीराम के आचरण को, उनके विचारों को ,उनके व्यक्तित्व को ; अपने जीवन में उतार कर ,उनके जैसा आचरण करता है तो वह भी भगवाधारी कहलाने का हकदार हैं |  लेकिन धोखा भगवाधारियों की फितरत में नहीं हुआ करता हैं |
विचार करना हैं आपकों .............
जय भारत माता
©

Saturday, November 17, 2018

एक संदेश भगवा धारियों के नाम  Part 1



देख रहा हूं आजकल भगवा का रंग हर तरफ उड़ रहा है |कई लोग इस रंग में रंगे है | कार्य गलत नहीं है ,लेकिन  मैं उन भगवाधारीयों से सवाल करनाा चाहता हूँ कि क्या सिर्फ भगवा के रंग में रंगना हीं महत्वपुर्ण हैं?  या फिर महत्वपूर्ण यह है कि भगवा का महत्व ,भगवा का इतिहास हर घर तक पहुंचाया जाए |
हिंदू मुस्लिम की लड़ाई कई वर्षों से चली आ रही है ,तो ऐसे में क्या आपका और हमारा फर्ज नहीं कि हम इसे बंद करें और हम शांति का माहौल स्थापित कर भगवा की शान बढ़ाए बजाए कि उपद्रव कर | मैं ऐसा नहीं कहता कि आप हमेशा उपद्रव करते हैं ,नहीं | किंतु कई बार परिस्थितियां उपद्रव का रूप धारण कर लेती है ,जो कि गलत है |
मैं उन फतवा धारियों से भी सवाल करना चाहता हूँ कि,  क्यों आप सब  सिर्फ शांति करने का दिखावा करते हों, क्यों आप अंदरूनी शांति स्थापित करने को तैयार नहीं होते हैं |
आपको अजमेर शहर का उदाहरण देता हूं | पूरे भारतवर्ष में सिर्फ एकमात्र शहर जो हिंदू- मुस्लिम एकता की मिसाल देता है |चाहे हिंदुओं का कोई भी त्यौहार हो ,सभी मुस्लिम भाई मिलकर ,सदैव ,कई वर्षों से ,निरंतर रूप से, सामूहिक सद्भावना स्थापित कर, आपसी बैर को भुलाकर एक -दुसरे का तहे दिल से इस्तकबाल  करते हैं  |
अगर सिर्फ धर्म की  रक्षा करनी हैं तो दिखावा कर रैली निकालो और  अगर मानवता की रक्षा करनी हैं, सद्भावना की रक्षा करनी है तो धर्म की पालना करते हुए मैत्री संबंधों का निर्माण करों |
भारत एक ऐसा देश है जहां अनेक धर्म के लोग निवास करते हैं |  विविधता में एकता से सुशोभित एकमात्र देश | वह देश जहाँ  भगवान महावीर के आदेश पर शेर और गाय भी एक पात्र में पानी पी लिया करते हैं; तो फिर हिंदू - मुस्लिम की लड़ाई क्यों ?
"कोई भी धर्म किसी भी  व्यक्ति को  कुछ भी गलत बात नहीं सिखाता , हम हमारे आचरण से अच्छी बातों को भी गलत बातों में बदल देते हैं और फिर धर्म  को दोष देते हैं ,आखिर ऐसा क्यों ?"
मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम  के विचारों का , उनके आचरण का पालन करों |
  अगर तुम भगवा को हीं  अपना सब कुछ मानते हों तो एक कड़वा सवाल , एक कड़वी  बात आप से करता हूँ
:- क्या आपने अपने भाई का विषम परिस्थितियों में साथ दिया है?
क्या आपने अपने पिता की आज्ञा का बिना किसी उपेक्षा के पालन किया है ?

अगर हां करा है तो भगवा को अपनी रघों में उतार लों, और नहीं तो सोचो लक्ष्मण के बारे में ,प्रभु भरत के बारे में जिन्होंने अपने भाई का कठिन से कठिन ,विषम परिस्थितियो में भी साथ नहीं  छोडा़ | श्री राम अपने पिता के एक आदेश पर गृहस्थी का त्याग कर  वनवास को चल दिए | इसलिए पहले प्रभु श्री राम के आचरण की  पालना करो , फिर भगवा के रंग में उतरों |
आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज कहते हैं ना कि "चरण  नहीं आचरण छुओं " शब्द चार हीं हैं  लेकिन पूरे जीवन के संस्कारों का सार इसी में हैं | जो समझ गया समझो वो इस भवसागर से तर गया |
देख रहा हूं कि  कई लोग सोशल मीडिया पर भगवा का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं |  व्हाट्सएप पर अपनी dp पर भगवा के  रूप में श्रीराम,  स्टेटस पर भगवा का वीडियो लगा रहे हैं |उन लोगों से सवाल करता हूं क्या यहीं  सब  महत्वपुर्ण हैं  भगवा का मान बढ़ाने के लिए | क्या यह महत्वपुर्ण  नहीं कि  भगवा से  किसी का शरीर ढ़का जाए , उस भगवा से किसी शरीर की  लाज बचाई जाए |
भगवामयी हों तो उस भगवा का आदर करों |  अन्यथा भगवा का त्याग कर दो , क्योंकि तुम्हें किसी ने कोई हक नहीं दिया है इस पवित्र भगवा का अपमान करने का| भगवा  के आदर से तात्पर्य सिर्फ यहीं नहीं हैं कि  भगवा का  हीं मान करो और ; औरो का नहीं |
आपके माता पिता के आदेशों का पालन , आपके भाई की विषम परिस्थितियों में आपके द्वारा उनकी  लक्ष्मण बन मदद करना भी भगवा का मान करने जैसा ही हैं | यह कैसरिया  रंग मात्र केसरिया नहीं ;यह अपने आप में पूरी सृष्टि समेटे हुए हैं |
  गर्व होता है जब हम कहते हैं कि हम भगवाधारी है , परंतु वहीं दूसरी तरफ दुःख भी होता है जब हम खुद उस  भगवा का अपने आचरण से अपमान करते हैं |
बुराईयाँ  सभी में होती हैं, लेकिन उन बुराइयों पर जीत पाना ही भगवा का संदेश है|  और हमारे देश नें हीं तो अपनी बुराइयों पर  जीत पाकर   विविधताओं  में एकता का निर्माण किया है,  इसलिए ही तो यह भगवाधारी है और भगवा धारियों का देश हैं|
जब भगवा की झलक ही साक्षात मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का दर्शन करा देती है तो जरा सा  सोचो ना , कि भगवा को अपने आचरण में उतारने पर क्या - क्या होगा |

"मेरे अंदर तो  वह ताकत नहीं हैं कि मैं इस पवित्र भगवा की महिमा का, उसकी गाथा का वर्णन कर सकूं, लेकिन मेरे शब्दों में वह ताकत है जो भगवाधारियों के सीने में उतर कर उसका मन परिवर्तित कर सकती हैं|"

भगवाधारी हों तो अपनी नजरों में वह पवित्रता लाओ ,कि जब भी कोई स्त्री पास में से गुजरे तो तुम्हारी आंखों में सनी लियोनी,  करीना कपूर की जगह मां सीता का चित्र आ जाए|  मैं ऐसा नहीं कहता कि रैप सदैव आप ही करते हैं ,लेकिन जो करते हैं वह भली भांति जानते भी है और समझ भी रहे हैं|  ध्यान रखना एक इंसान की पवित्र नज़रे कई इंसानों कि नज़रें पवित्र कर सकती हैं | अगर वो पवित्रता आ गई तो भारत एक दिन रेप मुक्त देश बन जाएगा |..............शेष भाग पार्ट 2में 
जय भारत माता
©

Tuesday, November 6, 2018

एक दिवाली - बेटियों के नाम

गर्भ से हीं वो जुर्म को सहती आई,
भ्रूण हत्या से लेकर बलात्कार तक ; हर जुर्म से वो लड़ती  आई,
कभी सफल हुई तो कभी असफल हुई,
फिर भी वो हर सितम को चुपचाप सहती हुई आई |

जब भी उसने अपने हक के लिए आवाज़ उठाई,
हमेशा पुरानी विचारधारा उसकी आवाज़ को दबाती गई,
अपनी बात को रखने का अवसर तो, जैसे छीन हीं लिया गया था उससे,
क्योंकि; अपने हीं परिवार में वों, बराबरी का दर्जा कहाँ पा पाई|

जन्म से लेकर मृत्यु तक, कभी भी उसे प्रेम ना मिला,
इस "मंगल कलश" को सदैव, अपमान का हीं घूँट मिला,
कुडे़दान से लेकर गन्दे नालों तक, हर तरफ फेंका उसको,
फिर भी वो देवी का रूप, इस धरा पर; हर क्षण अवतरित हुआ|

उसके आने से तीज - त्यौहारों की रौनक तो पुनः लौट आई,
साथ - ही - साथ माँ - बापू की चिंता भी लौट आई,
बेटी के पालन - पोषण से लेकर, उसके दहेज तक की चिंता,
उन्हें अपनी हीं बेटी के, लाड़-प्यार से दुर करती चली गई |

विडम्बना हैं मेरे देश की, बेटी जन्म तो वो भी नहीं चाहता,
"बेटी बचाओं" के साथ - साथ, मृत्यु के हथियार जो उपलब्ध कराता हैं,
लाखों प्रयास किये उस माँ ने, अपनी बेटी को बचाने के लिए,
फिर भी; हर क्षण हार की जीत हुई, उसकी बेबसी के आगे |

आओ हम सब मिलकर, इस दिवाली एक प्रण लें की  ,
बेटी जैसे "प्रकाश रूपी दिये" की लौ; निरंतर जलती रहें,
प्रण लें कि; "मानव लक्ष्मी" का सम्मान भी, "धन लक्ष्मी" जैसा ही करेंगें,
उन्हें मृत्यु प्रदान करने वाले हथियारों का सदैव बहिष्कार करेंगें|

वास्तविकता से अनभिज्ञ होकर भी, हम बेटी जन्म नहीं चाहते,
"धन लक्ष्मी" तो चाहते हैं, लेकिन "मानव लक्ष्मी" नहीं चाहते,
दियों से प्रकाश की लौ जले, यह भावना तो हर अंतर्मन में जाग्रत हैं,
किन्तु उन बुझे दियों को जलाने की भावना, हर अंतर्मन में बुझ-सी गई हैं |
©

Monday, October 29, 2018

उभरता झूठ - डूबता सत्य

मैंने झूठें लोगो को अक्सर मुस्कुराते देखा हैं,      
और सच्चें  लोगो को अक्सर रोते देखा हैं|

मैंने झूठें लोगो को अक्सर मनाते देखा हैं,
और सच्चें लोगो को अक्सर रूठते देखा हैं |

मैंने झूठें लोगो को अक्सर प्यार पाते देखा हैं,
और सच्चें लोगो को अक्सर प्यार के लिए तड़पते देखा हैं |

मैंने झूठें लोगो को अक्सर  हर बात के लिए हाँ करते देखा हैं ,
और सच्चें लोगो को अक्सर गलत बात के लिए मना करते देखा हैं |

मैंने झूठें लोगो को अक्सर बहलाते- फुसलाते देखा हैं,
और सच्चें लोगो को अक्सर गलत बात के लिए डाँटते देखा हैं |

  "यह जीवन की एक सच्चाई हैं,हम इन बातो को नकार नहीं  सकतें |"
©

                        
     

Friday, October 26, 2018

एक अधूरा ख़्वाब

                                                       

उसकी आदत थी, वो कभी कुछ कहती ही नहीं ,
ईशारे तो दुर, वो कभी मुझे देखती ही नहीं  |
पास होकर भी, रोज दुर हों जाते थे हम |
दिलो से दिलो की, मुलाकात  हीं नहीं होती  |

सोचता था  हर रोज, की आज तो वो मुझें देखेगी जरूर |
इसलिए,  सज-सँवर कर निकल जाया करता था मैं हर रोज |
लेकिन,  कम्बक्त -ए-जिंदगी इतनी हसीन  भी कहाँ होती |
चेहरो से चेहरो, की मुलाकात हीं नहीं होती  |          

यार कहने लगे थे, अब छोड़ भी दे उसकों |
बस वो तेरी जिंदगी का, एक ख्वाब ही थी |
लेकिन, तस्वीर जो उसकी मेंने अपने दिल में छुपा रखी थी|
अब उसके सिवा किसी और से मोहब्बत  हीं नही होती |
                                                       
 उसका हँसना,उसका इतराना,उसका रूठना, उसकी हर अदा |
 आज भी सब कुछ जिंदा हैं,मेरे जेहन में इस कदर |
 बस अब वो नहीं हैं, उसकी वो  खट्टी-मिठी यादे हीं  हैं मेरे संग |
 क्योंकि, अब वो मुझें अकेला छोड़ किसी और केे संंग जो चली गई |
    💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔

©

Wednesday, October 24, 2018

Love Is Myself

     When you lose someone,
     You lose yourself !!!
     When you lose yourself,
     You try to find you in yourself  !!!
     And when you try to find yourself then,
     You come to know the real value of yourself,
     Which is “ love” .
     It changes you completely.
     You know that’s why “love” is precious.
     Many times love silently teaches us a lesson about life.
     Really love has an amazing power.
     Whoever says new generation no longer falls in love,
     They’re wrong....
     I believe in love.

     Do You ?

Written By :

                               Nancy Khandelwal

Edited By :              Khyati Bhatodkar

©