Sunday, December 9, 2018

शांतिदूत संत : पुलक सागर

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उजडे़ रेगिस्तान का हरा - भरा पेड़ हैं यह संत |
संयम व्रतों के रथ पर सवार,  मिथ्या दृष्टि से परे  समाज का गौरव  हैं यह संत |
जन - जन के दिलों को प्यारा प्रसन्नता का प्रकाश  हैं यह संत |
आखिर; भारत का गौरव " भारत गौरव " हैं  यह संत |

सुख - सिंधु सागर का प्रदाता है यह संत |
अनुपम,  आलौकिक,  कठोर साधना की जड़ है  यह संत  |
वितरागता  का पालन करतें हुए ;महावीर के पथ पर प्रगतिशील  है यह संत |
आखिर ; पुष्पदंत सागर की बगिया का, चहकता-  महकता पुष्प हैं यह संत |

तप और मौन साधनाओं के अम्बर में डूबा है यह  संत  |
तो वही; "  ज्ञान की गंगा " में खुशियों  की बौछार करता है यह संत |
जिनशासन को समर्पित वात्सल्य - धारा का धनी हैं यह संत |
आखिर ; जैन समाज का उगता प्रकाश रूपी सूर्य हैं यह संत|

निर्मल गंगा जल सा, निर्मल हैं यह संत |
समता रुपी गुणों सें धनी हैं यह संत |
अहंकार, वासना, ईर्ष्या से परे रहता हैं यह संत |
आखिर ;सम्यक्तवता का प्रतीक हैं यह संत |

अपने निराले अंतर्मन में डूबा रहता है यह संत |
मैत्री स्वभावों से परिपूर्ण " पुलक परिवार " का आदर्श हैं यह संत |
विजय तिलक की चमक हैं यह संत|
आखिर; मोक्ष पथ का गामी हैं यह संत |

28 मुलगुणों सें सुशोभित हैं यह संत  |
बिन कांटों का खिलता गुलाब हैं यह संत |
चाँद-सी रोशनी,सूरज-सा दिव्य तेज,कोहिनूर जैसी चमक से परिपूर्ण हैं यह संत|
आखिर;जैनागम, माँ जिनवाणी का परम उपासक हैं यह संत |

गोपी देवी की आँखों का तारा, तो भीकमचंद जी के दिल का गुरूर हैं यह संत|
सुनी पड़ी कानपुर की धरती का, पुण्योदय हैं  यह संत |
गाँव धमतरी वालों का गौरव कहूँ या ना कहूँ ; कोई फर्क नहीं पड़ता |
क्योंकि;मेरे महावीर की छाँव में पला - बढ़ा हैं यह संत |

प्रभु पार्श्वनाथ का दुलारा हैं यह संत |
आचार्य पुष्पदंतसागर जी को अतिप्रिय हैं यह  संत |
अपने भक्तों के दिल में जगी आखिरी उम्मीद की किरण हैं यह संत |
आखिर ; दया - सिंधु का सागर हैं यह संत |

संयम - साधनाओं में लीन रहता हैं यह संत |
अपने भक्तों की खुशियों की चाबी हैं यह संत |
गिरते हुए को सदैव संभाला हैं इन्होंने |
आखिर ; " जिनशरणं के छोटे बाबा " हैं यह संत |

||जय पुलक सागर, जय पुलक सागर, जय पुलक सागर ||
©

  नमनकर्ता   : अंकित नम्रता जैन,पुलक पुस्तक मार्ट , 
                    मीरेश बुक्स गैलरी, अजमेर 
                    (ट्रस्टी -जिनशरणं तीर्थ) 

 लेखक   :  मयंक शाह, अजमेर 

सम्पादक    :  रचना जैन, उर्वशी लोढ़ा 

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