Friday, October 26, 2018

एक अधूरा ख़्वाब

                                                       

उसकी आदत थी, वो कभी कुछ कहती ही नहीं ,
ईशारे तो दुर, वो कभी मुझे देखती ही नहीं  |
पास होकर भी, रोज दुर हों जाते थे हम |
दिलो से दिलो की, मुलाकात  हीं नहीं होती  |

सोचता था  हर रोज, की आज तो वो मुझें देखेगी जरूर |
इसलिए,  सज-सँवर कर निकल जाया करता था मैं हर रोज |
लेकिन,  कम्बक्त -ए-जिंदगी इतनी हसीन  भी कहाँ होती |
चेहरो से चेहरो, की मुलाकात हीं नहीं होती  |          

यार कहने लगे थे, अब छोड़ भी दे उसकों |
बस वो तेरी जिंदगी का, एक ख्वाब ही थी |
लेकिन, तस्वीर जो उसकी मेंने अपने दिल में छुपा रखी थी|
अब उसके सिवा किसी और से मोहब्बत  हीं नही होती |
                                                       
 उसका हँसना,उसका इतराना,उसका रूठना, उसकी हर अदा |
 आज भी सब कुछ जिंदा हैं,मेरे जेहन में इस कदर |
 बस अब वो नहीं हैं, उसकी वो  खट्टी-मिठी यादे हीं  हैं मेरे संग |
 क्योंकि, अब वो मुझें अकेला छोड़ किसी और केे संंग जो चली गई |
    💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔

©

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