Friday, December 11, 2020

हताशा

आगे बढ़ना भी कहाँ आसान होता हैं,
यहाँ हर वक्त गिरने का ड़र जो होता हैं ,
सफलता से मुलाकात के संघर्ष में;
लाख कोशिशें भी  कम पड़ जाती हैं मेरी,
फिर भी सफलता से मुलाकात नही होती मेरी |
जब भी गिर जाता हूँ मैं,आयने-सा बिख़र जाता हूँ,
अपने अनगिनत प्रयासों को मैं फिर से खो देता हूँ,
मायूस सा हो कर  कभी-कभी थोड़ा सा रो भी लेता हूँ ,
मंज़िल को पाने का जज़्बा मैं फिर भी नहीं खोता हूँ|
उस नन्हीं -सी चिटीं को देखकर मैं फिर से खड़ा होता हूँ,
मंज़िल को पाने के लिए मैं फिर से प्रयत्नशील हो उठता हूँ ,
प्रयासों मे कमी मैं कभी आने नहीं दूँगा ,
लक्ष्य को प्राप्त करे बिना मैं शांत नहीं बैठुंगा;
बस ये बात ठान कर मैं फिर से आगे बढ जाता हूँ|
माना सफलता युँ  हीं हर किसी को नही मिलती ,
रातों को बिना सुलाये कई बार, कई मुलाकाते अधूरी रखनी पड़ती हैं,
अंगारो की राहो पर चलकर  सपनों की खूबसूरत राहें बनाना आसान नहीं होता,
ज़िंदगी में एक बार में सफल हों जाना शायद मुमकिन ना हो  ;
पर मैं खुद से ही हार कर बैठ जाँऊ ये भी तो मुमकिन नहीं ना |
*हताशा* की किरणो से रूबरू होना भी जरूरी हैं,
ज़िंदगी को रोचक बनाने के लिए कभी - कभी गिरना भी जरूरी हैं,
गिर - गिर कर भी जो खड़ा हो जाए, वो कभी असफल नहीं होता,
और ; आँसुओं को मुकद्दर समझ कर जीने वाला कभी सफल नही होता |
@highongoals

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