Friday, November 23, 2018

एक संदेश भगवा धारियों के नाम Part 2

आग्रह : यदि आपने अभी तक  "एक संदेश भगवा धारियों के नाम" का पहला भाग नहीं पढ़ा हैं तो आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें , उसे पढ़े |


                                                                 
                                                                         PART 2

भगवाधारी हों तो हर धर्म का पालन करो,उनकी हर अच्छी बातों को अपने जीवन में उतारो, क्योंकि हम भगवाधारी विविधता में एकता के देश में निवास करते हैं | भगवाधारी हो तो अपने भाई  से ऐसा प्रेम करों कि विषम परिस्थितियों में आपके भाई को अन्य लोगों से मदद मांगने की जरूरत ना पड़े  |

तलवारों की धार - सी चमक, ऐसा तेज अपने चेहरे पर लेकर आओ कि सामने वाला भी देख कर बोले कि यह भगवा भक्त हैं | मात्र भगवा पहनकर , ओढ़कर  घूमने से , लहराने से कुछ नहीं होगा | भगवा का सम्मान यानी भारत माता का सम्मान, ऐसे विचार अपनी रगों में भर दों |

भगवाधारी हो तो हर व्यक्ति कि विषम परिस्थिति में हर संभव मदद करो श्री राम बनकर | निस्वार्थ भावना से सेवा भावना ही तो श्रीराम का संदेश हैं | भगवाधारी हों तो अपने आचरण में वह पवित्रता लेकर आओ , अपने व्यक्तित्व में वह परिवर्तन लाओ कि हर घर रोज दिवाली मनाई जाए |

"हाँ मैं यह मानता हुं कि हम वह हनुमान तो नहीं बन सकते कि जब हम सीना चीरे तो सीने में श्री राम और माँ सीता दिख जाए,  लेकिन हम वह इंसान तो बन सकते हैं कि जब हम सीना चीरे तो सीने में से श्री राम के आदर्शों की गंगा बाहर  छलक - छलक पड़े |"

कहते हैं सिंह जहाँ बैठ जाता है वह जगह भी सिंहासन कहलाने लगती है तो ,अपने आप को ऐसा बनाओ कि जहां भी बैठों वह जगह  भगवा - भगवा हो जाए  | आचरणों में पवित्रता ही भगवा का असली मान-सम्मान हैं|भगवाधारी हो तो अपने अंदर उस तरह से बदलाव लेकर आओं कि श्री राम की झलक तुम्हारें अंदर स्पष्ट रूप से दिखाई पड़े |  वह प्रेम ,सद्भावना ,निष्ठा, कर्तव्यपरायणता ,एकता सब तुम्हारे आचरण  से  छलकना चाहिए |

कहते हैं महापुरुष प्रकाश में नहीं आते , और आना भी नहीं चाहिए , क्योंकि प्रकाश प्रदान में है उन्हें रस आता हैं | ठीक उसी प्रकार तुम अपने अंदर वह बदलाव लेकर आओ कि जहां- जहां भी तुम जाओ ,वहां - वहां भगवा के आचरण,  भगवा  की पवित्रता के मोती स्वयं बिखर पडे़ |  और वहाँ उन मोतियों को उठाने वाला एक  भगवाधारी के साथ-साथ एक फतवाधारी भी विद्यमान हों | ध्यान रखना आचरण में पवित्रता और बदलाव का साहस किसी भी व्यक्ति को उसका व्यक्तित्व को बदलने पर मजबूर कर सकता है|

सब्र करो वह समय भी जल्द  जाएगा जब हर  सुबह  भगवामयी होगी ,और शाम  भगवामयी  होगी ,और हर रात भगवामयी  होगी| और हर सुबह की किरण भगवा के आचरणों का ,उसकी पवित्रता का संदेश लेकर तुम्हारें  जीवन में आएगी | तुम्हें बस इस संदेश को हंसते-हंसते स्वीकार करना है , और हर रात भगवा के मान - सम्मान का परिणाम लेकर तुम्हारें  सामने आएगी  और उस परिणाम को भी तुम्हें खुशी - खुशी , मुस्कुरातें हुए स्वीकार करना हैं |

भगवा को राजतिलक नहीं विजय तिलक के रूप में स्वीकार करों | भगवा की शान मेरे भारत की शान हैं, और भगवा का मान मेरी भारत माता का मान है |ध्यान रखना केवल भगवा फहराने से ही राम राज्य नहीं आएगा | उसके लिए बदलाव अपने आचरण में,  विचारों में लाना होगा|  केवल भगवा धारण कर लेने से ही तुम भगवाधारी नहीं बन सकते |

हाँ , मैं गर्व से कहता हूं  कि मैं भगवा नहीं पहनता ,उसे धारण नहीं करता  | लेकिन मैं अपने जीवन में श्री राम के आदर्शों का पालन करता हूं उनके आचरण को अपने व्यक्तित्व में उतारने का हर संभव प्रयास करता हूं , इसीलिए मैं गर्व से कहता हूं कि मैं बाहर से तो भगवाधारी नहीं हूँ ,दिखाने से भी भगवाधारी नही हूँ लेकिन अंदर से पूरा भगवाधारी हुं , आचरणों से पुरा भगवामयी हूँ |

जरूरी नहीं कि जय श्री राम लिखने वाला ही, बोलने वाला हीं भगवाधारी हों | यदि कोई फतवाधारी भी प्रभु श्रीराम के आचरण को, उनके विचारों को ,उनके व्यक्तित्व को ; अपने जीवन में उतार कर ,उनके जैसा आचरण करता है तो वह भी भगवाधारी कहलाने का हकदार हैं |  लेकिन धोखा भगवाधारियों की फितरत में नहीं हुआ करता हैं |
विचार करना हैं आपकों .............
जय भारत माता
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